ऐ खुदा
फ़ुर्सत मिले, तो तू भी कभी सुन तेरे ठुकराए हुए बच्चों का कहा
फ़ुर्सत मिले, तो लम्हे थोड़े से मेरे नाम कभी करना ऐ खुदा
खाली आँखों को मेरी, देने को तेरे पास टूटे ख्वाब भी नहीं
मेरी झोली तो चलो ठीक मगर, खाली खाली तेरा दामन है खुदा
तेरी दुनिया से, तेरे लोगों से, तुझे इतनी मोहब्बत क्यों है
बड़े सालों से ये सोचता हूँ, कैसे बन जाऊँ तेरी दुनिया मैं खुदा
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